कृषि बीमा
प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना
क्या करें
किससे संपर्क करें
प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना
क्या करें?
प्राकृतिक जोखिमों जैसे-प्राकृतिक आपदा/संकट, कीट, कृमि और रोग एवं विपरीत मौसम परिस्थितियों के विरुद्ध अपने आपको वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना।
अपने क्षेत्र में लागू उचित फसल बीमा योजना से लाभ उठाना ।
इस समय प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई), मौसम आधारित फसल बीमा योजना (डब्यूबीसीआईएस), नारियल पाम बीमा योजना (सीपीआईएस) और 45 जिलों में पायलेट एकीकृत पैकेज बीमा योजना(यूपीआईएस) नामक 4बीमा योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं।
यदि आप अधिसूचित फसलों के लिए फसल ऋण लेते हैं तो अपने आपको पीएमएफबीवाई/ डब्ल्यूबीसीआईएस/सीपीआईएस/यूपीआईएस के अंतर्गत शामिल होना अनिवार्य है ।
गैर ऋणी किसानों के लिए इसमें शामिल होना स्वैच्छिक है।
फसल बीमा योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए अपने क्षेत्र में राज्य के कृषि विभाग के अधिकारी/कार्यरत बैंक/पैक्स (पीएसीएस) जन सूचना केन्द्र अथवा फसल बीमा कम्पनी की निकटवर्ती शाखा से सम्पर्क करें ।
क्या करें
क्र. संख्या
योजनाएं
सहायता
1.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)
राज्य द्वारा अधिसूचित खाद्य फसलों, तिलहनों और वार्षिक बागवानी/वाणिज्यिक फसलों के लिए सुरक्षा बीमा।
सभी किसानों के लिए एक समान रूप में निर्धारित प्रीमियम :
i) खरीफ मौसम में बीमित राशि का अधिकतम 2%
ii) रबी मौसम में बीमित राशि का अधिकतम 1.5%
iii) वार्षिक वाणिज्यिक /बागवानी फसल में बीमित राशि का अधिकतम 5%
बीमांकिक प्रीमियम और किसानों द्वारा देय प्रीमियम दर के बीच अंतर केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा समान रूप से साझा किया जायेगा।
पूर्ण क्षतिपूर्ति बिना कटौती या कमी के।
यदि विपरीत मौसम/जलवायु के कारण बुवाई नहीं हो पाती है तो बुवाई/रोपण जोखिम के लिए बीमित राशि के 25% तक दावा/क्षतिपूर्ति देय होगी।
जब फसल उपज अधिसूचित फसल की गारंटीशुदा उपज से कम हो, तब सभी बीमित किसानों को क्षतिपूर्ति भुगतान स्तर उपज में कमी के अनुसार देय होगा।
यदि फसल के मध्य में ही 50% फसल की हानि हो जाती है तो तत्काल राहत के रूप में 25% तक संभावित दावों का भुगतान अग्रिम किया जायेगा।
बाढ़, ओलावृष्टि और भूस्खलन की वजह से नुकसान का मूल्यांकन खेत स्तर पर किया जाएगा।
खेत में कटाई के उपरान्त खेत में सुखाने हेतु रखी फसल यदि 14 दिनों के अन्दर चक्रवाती बारिश व बेमौसम बारिश के कारण खराब हो जाती है तो क्षतिपूर्ति का आंकलन खेत स्तर पर किया जाएगा।
दावों के त्वरित निपटान हेतु रिमोट सेंसिंग प्रॉद्यौगिकी और ड्रोन का प्रयोग किया जाएगा।
बीमा कम्पनी का चयन राज्य सरकार द्वारा टेन्डर के माध्यम से किया जायेगा।
2.
मौसम आधारित फसल बीमा योजना (डब्ल्यूबीसीआईएस)
राज्य द्वारा अधिसूचित खाद्य फसलों, तिलहनों और बागवानी/वाणिज्यिक फसलों के लिए सुरक्षा बीमा योजना।
पीएमएफबीवाई के समान सभी किसानों के लिए निर्धारित प्रीमियम जैसे:
क. खरीफ मौसम-बीमित राशि का अधिकतम 2 %
ख. रबी मौसम-बीमित राशि का अधिकतम 1.5 %
ग. वाणिज्यिक/बागवानी फसल-बीमित राशि का 5%
किसानों द्वारा देय वास्तविक प्रीमियम तथा बीमा के दर के बीच अंतर को केंद्र एवं राज्य द्वारा समान रूप से साझा किया जाएगा।
यदि मौसम (वर्षा/तापमान/संबद्ध आर्द्रता/हवा की गति आदि) अधिसूचित फसलों के प्रत्याभूति गारंटी मौसम सूची से भिन्न (कम अथवा अधिक) होते हैं, तब अधिसूचित क्षेत्रों के सभी बीमित किसानों के लिए भिन्नता/कमी के समतुल्य क्षतिपूर्ति भुगतान देय है।
व्यक्तिगत फॉर्म स्तर पर ओलावृष्टि तथा बादल फटने के कारण हानियों का आकलन करने का प्रावधान
बीमा कम्पनी का चयन राज्य सरकार द्वारा टेन्डर के माध्यम से किया जायेगा।
नारियल पाम बीमा योजना
नारियल पाम उत्पादकों के लिए सुरक्षा बीमा। (सीपीआईएस)
प्रति पाम प्रीमियम दर १ 9.00 (4 से 15 वर्ष की आयु सीमा में) व १ 14.00 (16 से 60 वर्ष की आयु सीमा में)।
सभी श्रेणी के किसानों को प्रीमियम में 50 से 75% की अनुदान (सब्सिडी) राशि दी जाती है।
पाम फसल क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में अधिसूचित क्षेत्रों के सभी बीमित किसानों को क्षतिपूर्ति भुगतान, आदानों के मूल्य में नुकसान/क्षति के समतुल्य देय होता है।
अधिसूचित जिलों में पायलट के रूप में एकीकृत पैकेज बीमा योजना (यूपीआईएस) सहायता
किसानों को वित्तीय संरक्षण एवं फसल, परिसंपत्ति, जीवन तथा विद्यार्थी सुरक्षा की व्यापक जोखिम कवरेज प्रदान करने हेतु।
पायलट में सात खण्ड अर्थात् फसल बीमा (पीएमएफबीवाई/डब्ल्यूबीसीआईएस), जीवन की हानि (पीएमजेजेबीवाई), दुर्घटना मृत्यु एवं विकलांगता, विद्यार्थी सुरक्षा, परिवार, कृषि उपकरण एवं ट्रैक्टर शामिल ।
फसल बीमा को अनिवार्य किया जाएगा तथापि किसान शेष में से कम से कम दो खण्ड का चुनाव कर सकते हैं।
किसान एक सामान्य प्रस्ताव/आवेदन प्रपत्र तथा एकल व्यवस्था के माध्यम से किसानों के लिए सभी आपेक्षित बीमा उत्पादों को प्राप्त कर सकते हैं।
बीमा परिसंपत्तियों के अलावा सरकार की दो फ्लैगशिप योजनाएं यथा पीएमएसबीवाई एवं पीएमजेजेबीवाई को शामिल किया गया है।
एकल व्यवस्था पटल के माध्यम से पायलट योजना को कार्यान्वित किया जाएगा।
व्यक्तिगत दावे रिपोर्ट के आधार पर दावों (फसल बीमा के अलावा) का प्रसंस्करण।
किससे संपर्क करें
बैंक की नजदीकी शाखा/ कृषि सहकारी समितियां/जन सूचना केन्द्र/सहकारी बैंक/क्षेत्र के लिए अधिसूचित सामान्य बीमा कंपनी तथा जिला कृषि अधिकारी/खंड विकास अधिकारी से संपर्क स्थापित किया जा सकता है अथवा वैब पोर्टल पीएमएफबीवाई पर देखे जा सकते हैं।
भारत किसानों का देश है जहां ग्रामीण आबादी का अधिकतम अनुपात कृषि पर आश्रित है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी नें 13 जनवरी 2016 को एक नई योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का अनावरण किया।
यह योजना उन किसानों पर प्रीमियम का बोझ कम करने में मदद करेगी जो अपनी खेती के लिए ऋण लेते हैं और खराब मौसम से उनकी रक्षा भी करेगी।
बीमा दावे के निपटान की प्रक्रिया को तेज और आसान बनाने का निर्णय लिया गया है ताकि किसान फसल बीमा योजना के संबंध में किसी परेशानी का सामना न करें। यह योजना भारत के हर राज्य में संबंधित राज्य सरकारों के साथ मिलकर लागू की जायेगी। एसोसिएशन में के निपटान की प्रक्रिया बनाने का फैसला किया गया है। इस योजना का प्रशासन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जाएगा।
योजना के मुख्य आकर्षणयोजना के मुख्य आकर्षण
किसानों द्वारा सभी खरीफ फसलों के लिए केवल 2% एवं सभी रबी फसलों के लिए 1.5% का एक समान प्रीमियम का भुगतान किया जाना है। वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के मामले में प्रीमियम केवल 5% होगा।
किसानों द्वारा भुगतान किये जानेवाले प्रीमियम की दरें बहुत ही कम हैं और शेष प्रीमियम का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा ताकि किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं में फसल हानि के लिए किसानों को पूर्ण बीमित राशि प्रदान की जाए।
सरकारी सब्सिडी पर कोई ऊपरी सीमा नहीं है। भले ही शेष प्रीमियम 90% हो, यह सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
इससे पहले, प्रीमियम दर पर कैपिंग का प्रावधान था जिससे किसानों को कम कम दावे का भुगतान होता था। अब इसे हटा दिया गया है और किसानों को बिना किसी कटौती के पूरी बीमित राशि का दावा मिलेगा।
काफी हद तक प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। दावा भुगतान में होने वाली देरी को कम करने के लिए फसल काटने के डेटा को एकत्रित एवं अपलोड करने हेतु स्मार्ट फोन, रिमोट सेंसिंग ड्रोन और जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।
2016-2017 के बजट में प्रस्तुत योजना का आवंटन 5, 550 करोड़ रूपये का है।
बीमा योजना को एक मात्र बीमा कंपनी, भारतीय कृषि बीमा कंपनी (एआईसी) द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
पीएमएफबीवाई राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस) एवं संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एमएनएआईएस) की एक प्रतिस्थापन योजना है और इसलिए इसे सेवा कर से छूट दी गई है।
योजना के उद्देश्य
प्राकृतिक आपदाओं, कीट और रोगों के परिणामस्वरूप अधिसूचित फसल में से किसी की विफलता की स्थिति में किसानों को बीमा कवरेज और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
कृषि में किसानों की सतत प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए उनकी आय को स्थायित्व देना।
किसानों को कृषि में नवाचार एवं आधुनिक पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
कृषि क्षेत्र में ऋण के प्रवाह को सुनिश्चित करना।
इस योजना के तहत शामिल किया गया
किसानों का कवरेज
फसलों की कवरेज
जोखिम की कवरेज
जोखिम के अपवर्जन
बीमित राशि/कवरेज की सीमा
किसानों का कवरेज
अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसल उगानेवाले पट्टेदार/ जोतदार किसानों सहित सभी किसान कवरेज के लिए पात्र हैं। गैर ऋणी किसानों को राज्य में प्रचलित के भूमि रिकार्ड अधिकार (आरओआर), भूमि कब्जा प्रमाण पत्र (एल पी सी) आदि आवश्यक दस्तावेजी प्रस्तुत करना आवश्यक हैं। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा अनुमति अधिसूचित लागू अनुबंध, समझौते के विवरण आदि अन्य संबंधित दस्तावेजों भी आवश्यक हैं।
अनिवार्य घटक वित्तीय संस्थाओं से अधिसूचित फसलों के लिए मौसमी कृषि कार्यों (एस ए ओ) के लिए ऋण लेने वाले सभी किसान अनिवार्यतः आच्छादित होंगें।
स्वैच्छिक घटक गैर ऋणी किसानों के लिए योजना वैकल्पिक होगी।
योजना के तहत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/महिला किसानों की अधिकतम कवरेज सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किया जाएगा। इस के तहत बजट आबंटन और उपयोग संबंधित राज्य के अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/सामान्य वर्ग द्वारा भूमि भूमि-धारण के अनुपात में होगा। पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को कार्यान्वयन एवं फसल बीमा योजनाओं पर किसानों की प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए शामिल किया जा सकता है।
बीमा की इकाईबीमा की इकाई
योजना बड़े पैमाने पर आपदाओं के लिए प्रत्येक अधिसूचित फसल के लिए एक 'क्षेत्र दृष्टिकोण आधार' (यानी, परिभाषित क्षेत्रों) पर लागू की जायेगी। यह धारणा है कि सभी बीमित किसान को बीमा की एक इकाई के रूप में एक फसल के लिए "अधिसूचित क्षेत्र" के तौर पर परिभाषित किया जाना चाहिए, जो समान जोखिम का सामना करते हैं और काफी हद तक एक समान प्रति हेक्टेयर उत्पादन के लागत, प्रति हेक्टेयर तुलनीय कृषि आय और अधिसूचित क्षेत्र में जोखिम के कारण एक समान फसल हानि अनुभव करते हैं। अधिसूचित फसल के लिए इंश्योरेंस की यूनिट को जनसंख्या की दृष्टि से समरूप जोखिम प्रोफाइल वाले क्षेत्र से मैप किया जा सकता है।
परिभाषित जोखिम के कारण स्थानीय आपदाओं और पोस्ट-हार्वेस्ट नुकसान के जोखिम के लिए, नुकसान के आकलन के लिए बीमा की इकाई प्रभावित व्यक्तिगत किसान का बीमाकृत क्षेत्र होगा।
क्रियान्वयन एजेंसी
बीमा कंपनियों के कार्यान्वयन पर समग्र नियंत्रण कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत किया जाएगा।
मंत्रालय द्वारा नामित पैनल में शामिल एआईसी और कुछ निजी बीमा कंपनियॉ वर्तमान में सरकार द्वारा प्रायोजित कृषि, फसल बीमा योजना में भाग लेंगी। निजी कंपनियों का चुनाव राज्यों के उपर छोड़ दिया गया है। पूरे राज्य के लिए एक बीमा कंपनी होगी।
कार्यान्वयन एजेंसी का चुनाव तीन साल की अवधि के लिए किया जा सकता है, तथापि राज्य सरकार/केन्द्र शासित प्रदेश तथा संबंधित बीमा कंपनी यदि प्रासंगिक हो तो शर्तों पर फिर से बातचीत करने के लिए स्वतंत्र हैं। यह बीमा कंपनियों को किसानों के बीच सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियों में प्रीमियम बचत से निवेश करने के माध्यम से विश्वसनीयता स्थापित करने के लिए सुविधा प्रदान करेगा।
प्रबंधन और योजना की निगरानीप्रबंधन और योजना की निगरानी
राज्य में योजना के कार्यक्रम की निगरानी के लिए संबंधित राज्य की मौजूदा फसल बीमा पर राज्य स्तरीय समन्वय समिति (SLCCCI) जिम्मेदार होगी। हालांकि कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग (डीएसी और परिवार कल्याण) के संयुक्त सचिव (क्रेडिट) की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय स्तर की निगरानी समिति (NLMC) राष्ट्रीय स्तर पर इस योजना की निगरानी करेगी।
किसानों को अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक फसली मौसम के दौरान प्रभावी कार्यान्वयन के लिए निम्नलिखित निगरानी उपायों का पालन प्रस्तावित है:
नोडल बैंकों के बिचौलिये आगे मिलान के लिए बीमित किसानों (ऋणी और गैर-ऋणी दोनों) की सूची अपेक्षित विवरण जैसे नाम, पिता का नाम, बैंक खाता नंबर, गांव, श्रेणी - लघु और सीमांत समूह, महिला, बीमित होल्डिंग, बीमित फसल, एकत्र प्रीमियम, सरकारी सब्सिडी आदि सॉफ्ट कॉपी में संबंधित शाखा से प्राप्त कर सकते हैं। इसे ई मंच तैयार हो जाने पर ऑनलाइन कर दिया जाएगा।
संबंधित बीमा कंपनियों से दावों की राशि प्राप्त करने के बाद, वित्तीय संस्थाओं/बैंकों को एक सप्ताह के भीतर दावा राशि लाभार्थियों के खाते में हस्तांतरण कर देना चाहिए। इसे किसानों के खातों में बीमा कंपनी द्वारा सीधे ऑनलाइन हस्तांतरित कर दिया जाएगा।
लाभार्थियों की सूची (बैंकवार एवं बीमित क्षेत्रवार) फसल बीमा पोर्टल एवं संबंधित बीमा कंपनियों की वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है।
करीब 5% लाभार्थियों को क्षेत्रीय कार्यालयों/बीमा कंपनियों के स्थानीय कार्यालयों द्वारा सत्यापित किया जा सकता है जो संबंधित जिला स्तरीय निगरानी समिति (DLMC) और राज्य सरकार/फसल बीमा पर राज्य स्तरीय समन्वय समिति (SLCCCI) को प्रतिक्रिया भेजेंगें।
बीमा कंपनी द्वारा सत्यापित लाभार्थियों में से कम से कम 10% संबंधित जिला स्तरीय निगरानी समिति (DLMC) द्वारा प्रतिसत्यापित किए जायेंगें और वे अपनी प्रतिक्रिया राज्य सरकार को भेजेंगें।
लाभार्थियों में से 1 से 2% का सत्यापन बीमा कंपनी के प्रधान कार्यालय/केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त स्वतंत्र एजेंसियों/राष्ट्रीय स्तर की निगरानी समिति द्वारा किया जा सकता है और वे आवश्यक रिपोर्ट केन्द्र सरकार को भेजेंगें।
इसके अलावा, जिला स्तरीय निगरानी समिति (DLMC) जो पहले से ही चल रही फसल बीमा योजनाओं जैसे राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस), मौसम आधारित फसल बीमा योजना (WBCIS), संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (MNAIS) और नारियल पाम बीमा योजना (CPIS) के कार्यान्वयन और निगरानी की देखरेख कर रही है, योजना के उचित प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगी।
विशेष वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप्प
भारत सरकार ने हाल ही में बेहतर प्रशासन, समन्वय, जानकारी के समुचित प्रचार-प्रसार और पारदर्शिता के लिए एक बीमा पोर्टल शुरू किया है।
एक एंड्रॉयड आधारित "फसल बीमा ऐप्प" भी शुरू किया गया है जो फसल बीमा, कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग (डीएसी एवं परिवार कल्याण) की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है।
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